इस तरह वो शख़्स मेरे दिल से निकल गया, रूठा हुआ मैं जैसे महफ़िल से निकल गया। जान उसकी सागर के हवाले है फिर समझो, इकबारगी जो मल्लाह साहिल से निकल गया। मुझको बताएं, मुझको बेईमान कहने वाले, लालच न क्यूँ अबतक क़ाबिल से निकल गया। जाने किस गुमान में इतराती रही जवानी, फ़िर किसी दिन दम उस माहिल से निकल गया। जिस अक्स से मैं क़ामिल होता रहा 'डिअर', कैसे कहूँ के मुझसे वो तिल-तिल निकल गया। #dearsdare #yqdidi #gazal #ghazal #poetry #poetrylovers #love #life