बेवजह रोना सीखिए आखिर कब तक हम इस बात को ज़िंदगी की राह मान कर चलेंगे, और कब तक हम कभी रो देना यूँही गुन्नाह मान कर चलेंगे | "मैं बस इतना कहूंगा" की शायद हम कभी अकेले कोई मंजिल नहीं पा सकेंगे, तो किसी के साथ चलना सीख ले, हम भी हर किसी के दर्द को समझ सकेंगे, अगर एक बार खुद के दर्द को समझ कर तबियत से रोना सीख लें @ekk_khayal ujjwal singh |