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अरे! मुझे मंजिल पाने का शौक नही , वरना तुम और तुम्

अरे! मुझे मंजिल पाने का शौक नही ,
वरना तुम और तुम्हारी हजारों हुस्न की बस्तियां तब्हा कर चुका होता।

©Vikram S.Rana
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