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सुख खातिर वन वन फिरूं मिले न सुख का छोर चंचल चित

सुख खातिर वन वन फिरूं
मिले न सुख का छोर 
चंचल चित के चकाचौध में
पकड़ न पाऊं डोर 
जाल बिछाई ठगनी माया
जित देखूं उत ओर
काम क्रोध मद लोभ चौकड़ी
इन बिन होत न भोर
आनंद कंद हे कृष्ण चंद
हे यशुदा नंद किसोर
"सूर्य" एक आसरा तिहारो
मिल जावे कोई ठोर

©R K Mishra " सूर्य "
  #भटकाव  Ashutosh Mishra Rama Goswami Sethi Ji R Ojha अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर