नैनों की भाषा बिना किए वर्ण विग्रह और बिन शब्द-जोड़ मन में भरती आशा। ऐसी घनी तरु छांव है होती नैनों की भाषा। ।।मुक्ता शर्मा ।। #musafirparinde #life #मुक्तामुसाफिरपरिंदे