हां मुझे भी थी उम्मीद-ए-वफ़ा। सुन तो ज़रा ओ बे-दिल बेवफ़ा। सिर्फ़ आपसे ही नहीं आजकल। हां मैं रहता हूं ख़ुद से ही खफ़ा। बदले तुम्हारे मैं दुनियां छोड़ दूंगा। मैं नहीं देखता नुक़सान या नफ़ा। दोनो तरफ़ से बराबर की जंग है। न जाने कौन जीते वफ़ा या जफ़ा। तेरी यादें दिल की ज़रूरत बन गई। मरीज़-ए-दिल भला क्यूं मांगे शिफ़ा। अब किसी बहाने में मैं नहीं आऊंगा। याद है मुझे ज़िंदगी का हर फलसफा। बाद-ए-फुर्कत जय ये कैसी गफलत। चलो करते है हर बात को रफ़ा-दफा। मृत्युंजय विश्वकर्मा ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" उम्मीद ए वफ़ा #bestgazals #bestshayari #Love #mjaivishwa