रोज़ रोज़ कहना कि प्यार है , यूँ अच्छा नही है , कभी मिलना सलीक़े से बतायेंगे । दिल के किसी कोने में छिपाकर रखा , वो यादों का गुलदस्ता , तुम्हें रूबरू दिखायेंगे । कुछ गज़ले हैं कुछ नज़्म है कुछ शायरी है, पढ़ लोगी तो शायद तुम्हें समझ में ना आये , जब मिलोगी तो खुद ही सुनायेंगे । हर्फ़ दर हर्फ़ पलट देंगे चाहतों के ये पन्ने , ज़रा ठहरो तो , तुम्हें सब बतायेंगे । अपनी ख्वाहिशों को वक़्त के साये में , यूँ ही महफूज़ रहने दो , मिलकर इन्हें हम हकीकत बनायेंगे । रोज़ रोज़ कहना कि प्यार है , यूँ अच्छा नहीं है , कभी मिलना सलीक़े से बतायेंगे । Roz Roz khna ki pyar hai.... #Love#Nozoto#Poem