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मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम

मरहटा छन्द :-

अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम ।
ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।।
ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परिणाम ।
अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :-

अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम ।
ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।।
ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परिणाम ।
अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर
मरहटा छन्द :-

अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम ।
ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।।
ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परिणाम ।
अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :-

अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम ।
ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।।
ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परिणाम ।
अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर