White जीवन पग पग नाप रहे हैं, सपने पग पग नाप रहे हैं। सांचे में चेहरे हैं जितने, पग पग चेहरे छाप रहे हैं। जीवन पग पग नाप रहे हैं। अंतस पीड़ा उपहारों की, होठों पर मुस्कान लिए। दग्ध हृदय,तपते अंन्तस्थल, जीवन भर का शाप लिए। कांप रहे पांवों को स्थिर, कर राहों को नाप रहे हैं। सपने पग पग नाप रहे हैं। अस्ह्य वेदनावो से छलनी, शून्य में आंखें टिकी हुई। लगता है बीणा के तारो, में स्पंदन रुकी हुई, फिरा फिरा कर स्वयं हथेली, धड़कन अपनी भांप रहे हैं। जीवन पग पग नाप रहे हैं। सपने पग पग नाप रहे हैं। ©Manish ghazipuri जीवन