Meri Mati Mera Desh जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था। ©Kiran Chaudhary फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।