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Meri Mati Mera Desh जगमगाते शहर की रानाइयों में

Meri Mati Mera Desh 
 जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, 
 ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, 
 हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, 
 फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।

©Kiran Chaudhary 
 फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
Meri Mati Mera Desh 
 जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, 
 ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, 
 हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, 
 फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।

©Kiran Chaudhary 
 फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
kiranchaudhary7400

Kiran Chaudhary

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फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था। #शायरी