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रोटी की तलाश में, इस कदर निकल पड़े हम, गावँ गालियाँ

रोटी की तलाश में,
इस कदर निकल पड़े हम,
गावँ गालियाँ छोड़,
कहीं दूर उस के तलाश में निकल पड़े हम,
बहुत प्यारी थी सुबह जहाँ बैठे बैठे रोटी मिला करती थी, 
आज खून जला कर, 
दो वक़्त की रोटी से तसल्ली किया करते हैं।

©Anukaran
  #Roti
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Anukaran

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