दर्द इस तरह अंदर जा बैठा, भूल ही गया बाहर आने का रास्ता... फिर किसिने कागज और कलम पकडा दी, तब जा कर हुआ जिंदगी से वास्ता #स्वप्नील हुद्दार #शायरी #दर्द