पाहाडों के जिसम मे बरफों के चादर सुबह के आंगन मे सबनम के बिस्तर हसि वादिआं मे महकता केसर झिलमिलाति झिलों का सहर ए काश्मीर तेरि खुबसुरति पर अगर ना होती गोलिओं के निसान तु थि स्वर्ग से बेहतर चिन्मय मिश्रा kashmir