हे इंद्र सुना है.. ये बादल तेरे यहां से ही आते है.. और वही उमड़ गुमड़ कर बरसतेहै. जहा तु उन्हे बरसने के निर्देश देता है.... इधर लम्बे अर्से से तेरा तानाशाही रवैया हमेँ रास नही आ रहा है तेरी ही निर्लजता के कारण प्राण हमारे संकट में है लेकिन तु नही जानता. कीमत प्राणो की देख हमारे कितने बुरे हाल है न खेतो में फसल है नखेतो में जल है सब तरफ भूख है सब तरफ प्यास है अभावग्रस्त जीवन घुटा जा रहा है ©Parasram Arora अभावग्रस्त