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ये समझ में नहीं आता कि जो अनमोल एहसास है उसे लोग स

ये समझ में नहीं आता कि जो अनमोल एहसास है उसे
लोग सरेआम क्यों करते हैं। क्या वेलेंटाइन के लिए कोई
खास यही दिन है। विडंबना तो यही है कि विदेशी लोग 
हमारे कल्चर को अपना रहे हैं,सीख रहे हैं,आनंद ले रहे हैं और हम पता नहीं अपनी अनमोल धरोहर के प्रति उदासीन 
हैं। हमारी ये संस्कृत अब old model लग रही है। जबकि
सत्य यही है कि इसी प्राचीन संस्कृति ने विश्व को मानवता
का पाठ पढ़ाया और एक कल्याणकारी राह दिखाया। अगर  0 नहीं दिया गया होता तो शायद विश्व को समझना ही मुश्किल था। लेकिन हम हैं कि हेलो, हाय, बाय बाय, सी यू, 
लव यू में लगे हैं। प्रेम का इजहार सड़क पर या सरेआम नहीं
होता। अगर होता है तो वो प्रेम नहीं एक कॉन्ट्रैक्ट जैसा है
जिसे कभी भी तोड़  दी जाती है। इस लिए अभी भी समय
है। खुद को पहचानो, अपनी सभ्यता और संस्कृति को समझो,सम्मान करो और अपनाओ। वेलेंटाइन डे हो सकता है,प्रेम दिवस नहीं। जय हिन्द, जय भारत।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  स्वदेशी बनो।