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ये शाम-ए-गम गुजरती क्यों नहीं है मेरी क़िस्मत बदल

 ये शाम-ए-गम गुजरती क्यों नहीं है
मेरी क़िस्मत बदलती क्यों नहीं है

वो इक मासूम सी सादा सी लड़की
मेरे दिल से निकलती क्यों नहीं है

©राहुल रौशन
  ✍️अता उल हक़ क़ासमी✍️

✍️अता उल हक़ क़ासमी✍️ #शायरी

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