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ये ठनके की आवाज से डर कर, मेरे सीने से चिपक जाने व

ये ठनके की आवाज से डर कर,
मेरे सीने से चिपक जाने वाली गुड़िया,
आज मेरा ही डर भगाने वाली,
अदम्य साहस की पुड़िया हो गयी है,
मेरी ही जन्मी बिटिया,मेरी दादी-नानी
जैसी पकी बुढ़िया हो गयी है। बात है एक दिन की,तब वो दो साल की भी नहीं थी,
जब डरती न थी,अपितु मेरा डर भगाती थी।
रात दबे पाँव बढ़ रही थी,
आँखों की पुतलियाँ चढ़ रही थी,
पूरे दिन का टूटा-बिखड़ा,समेटने में
मैं भी अब लगभग थक गयी थी,
जल्दी जल्दी काम निबटा कर,
बाकी बचे को,भूल जाना चाहती थी,
ये ठनके की आवाज से डर कर,
मेरे सीने से चिपक जाने वाली गुड़िया,
आज मेरा ही डर भगाने वाली,
अदम्य साहस की पुड़िया हो गयी है,
मेरी ही जन्मी बिटिया,मेरी दादी-नानी
जैसी पकी बुढ़िया हो गयी है। बात है एक दिन की,तब वो दो साल की भी नहीं थी,
जब डरती न थी,अपितु मेरा डर भगाती थी।
रात दबे पाँव बढ़ रही थी,
आँखों की पुतलियाँ चढ़ रही थी,
पूरे दिन का टूटा-बिखड़ा,समेटने में
मैं भी अब लगभग थक गयी थी,
जल्दी जल्दी काम निबटा कर,
बाकी बचे को,भूल जाना चाहती थी,

बात है एक दिन की,तब वो दो साल की भी नहीं थी, जब डरती न थी,अपितु मेरा डर भगाती थी। रात दबे पाँव बढ़ रही थी, आँखों की पुतलियाँ चढ़ रही थी, पूरे दिन का टूटा-बिखड़ा,समेटने में मैं भी अब लगभग थक गयी थी, जल्दी जल्दी काम निबटा कर, बाकी बचे को,भूल जाना चाहती थी, #Mother #yqdidi