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White ना पूछो क्या हाल है, फैला जंजाल है,, ये तो

White ना पूछो क्या हाल है, 
फैला जंजाल है,,
ये तो बेगम कमाल है। 
उधेड़ रही बिल्ली की खाल है, 
आज गड़बड़ लग रही दाल है,,
लग रहा बुन रही कोई जाल है,
ये सब पड़ोसियों की चाल है। ।
मन में उछल रहा सवाल है, 
मंडरा रहा अब काल है,,
नारंगी सी हो रही लाल है, 
आगे उसके क्या मेरी मजाल है। ।
फूला उसका गाल है, 
घर में हो रहा कदमताल है,,
धुन में बज रही थाल है, 
बड़ा होने वाला धमाल है। ।
साड़ी में न फाल है, 
बकरा होने वाला अब हलाल है,,
अब मत पूछो क्या हाल है। ।।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #begam#