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जो भी है तू, मेरी ये हिमाकत नहीं कि तुझे दूँ कोई न

जो भी है तू, मेरी ये हिमाकत नहीं कि तुझे दूँ कोई नाम 
सुबह के नजारे कुछ और है तो अलग सी होती है हर शाम

©Kamlesh Kandpal
  #kudrat