तूफ़ान औऱ आंधी हमको न रोक पाए वो औऱ थे . मुसाफिर जो पथ से लोट आये संकल्प कर लिया तो संकल्प बन गये हम मरने के सब इरादे जीने के काम आये कुछ कल्पनाये जोड़ी कुछ भावनाये तोड़ी दीवानगी मे हमने क्या क्या न गुल खिलाये आबाद हो गईं दुख दर्द की सभाये एक साज़ की बदौलत सौ तार थरथराये जब यात्रा ही गंतव्य बन जाए