नींद भी आती है आंखें बंद भी नहीं करनी, हमें परवाज़ अपनी यूं बुलंद भी नहीं करनी اا ख़ाहिश तो है बहोत तेरे पहलू में लेटने की, सितम है के मुलाकातें चंद भी नहीं करनी اا कशमकश है ऐसी के न इक़रार है न इज़हार ही, नापसंद भी नहीं करते हमें पसंद भी नहीं करनी اا सदाक़त लिखता हूं मेरी कलम बिकी नहीं है, मुझे शायरी भी नहीं मुझे छंद भी नहीं करनी اا परवाज़ - उड़ान, कशमकश - उलझन, इज़हार - बताना, इन्कार - मना करना, छंद - लय-ताल में पंक्तियां सदाक़त - सच्चाई #cinemagraph #yqquotes #yqtales #yqlife #yqlove #yqdidi #yqthoughts #yqdiary