"कैसी आदत लगा बैठे हैं हम,
अपनी परछाई से बातें करते हैं हम;
तुम्हारे आने की राह तकते-तकते,
परछाई में तुम्हारे अक्स को ढूँढा करते हैं हम।
जिएँ तो जिएँ कैसे,
हर साँस तो तुम पर ही वार दिया करते हैं हम;
क्या यही प्यार है हाँ शायद यही प्यार है, #Shayari#स्वरचितरचना#AnjaliSinghal