दर्द एक बेजुबान माँ की...कैसे कोई न समझी अंदर पल रही थी मेरी एक बच्ची ,क्या किसी ने न सोची भुख से मारी थी , इसलिए दौड़ी तेरे बस्ती में आ चली थी वरना क्या कमी थी मेरे जंगलों में जो तेरे दरवाज़े पे आ खडी थी क्या गलती थी हमारी जो सजा हमे तुमने कुछ इस तरह दी क्या भुख लगना मेरी गुनाह थी या तुम पे भरोसा करना मेरी गलती थी दर्द हम बेजुबानों की आखिर कोई क्यों नहीं समझता... ...@नंdini #elephant #nojoto#poetry आँखे भर मेरी बस दो लाइन लिखते लिखते कैसे उसने इतनी बेशर्मी की हदें पार कर डाली