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मन का तोता तड़पे लेकिन मैना नहीं मिली, तन्हाई में

मन का तोता तड़पे लेकिन मैना नहीं मिली,
तन्हाई में जिये रात-दिन मैना नहीं मिली!
००० 
चले ज़िन्दगी की यह गाड़ी दो चक्रों पर ही,
सोच ये मन में आती पल-छिन मैना नहीं मिली!
०००
ढूँढ़-ढूँढ़कर नयन थके पर मीत नहीं पाया,
गुज़र रहे अब दिन बस गिन-गिन मैना नहीं मिली!
०००
लगें फ़ेसबुक़-व्हाट्सऐप भी यार! हमें बोझिल,
थके उन्हें हम कर-कर लागिन मैना नहीं मिली!
०००
बहनें बहुत मिलीं पर उनको नहीं मिली भाभी,
'सरस' प्रेम की कोई साथिन मैना नहीं मिली!

©सतीश तिवारी 'सरस' 
  #ग़ज़ल