कहाँ वो हिम्मत वो हौंसला किधर गया, देख कर बागों के हालात मैं सिहर गया। जानते हो! घर अब घर जैसा क्यों नहीं? घर समेटता एक शख्स जो बिखर गया। ©एस पी "हुड्डन" #एक_शख्स