प्यार में साथ मरने का भरम देखा है। गरीब मज़लूम पे होते सितम देखा है।। कोई इंशा भले माफ़ न करे इंशा को। गुनहगार पे भी रब का करम देखा है।। ✍️क़ाज़ी अज़मत कंमाल