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माँ का दूसरा रूप है वो ठिठुरती सुबहों का धुप है वो

माँ का दूसरा रूप है वो
ठिठुरती सुबहों का धुप है वो,
गर्मी में सीतल छाया है वो, 
वात्सल्य,प्रेम का स्वरुप है वो!

Please Read Caption..  Image Source:Google
मेरी दीदी:
प्यार मुझे करती है वो 
खयाल मेरा रखती है वो, 
जब जब गलती में करता हूँ
कान खींचकर मुझे डांटती भी है वो! 

माँ का दूसरा रूप है वो
माँ का दूसरा रूप है वो
ठिठुरती सुबहों का धुप है वो,
गर्मी में सीतल छाया है वो, 
वात्सल्य,प्रेम का स्वरुप है वो!

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मेरी दीदी:
प्यार मुझे करती है वो 
खयाल मेरा रखती है वो, 
जब जब गलती में करता हूँ
कान खींचकर मुझे डांटती भी है वो! 

माँ का दूसरा रूप है वो
darshanblon1957

Darshan Blon

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