ये जो आज़ादी मुझे मिली है कमी एक इस में भी खली है भगत आज़ाद सुखदेव बिस्मिल रहे केवल क्यों जुबां पे शामिल सुनके अहिल्या मनु की दास्तां ढूंढा क्यों नहीं मैंने कोई रास्ता दूर अब भी क्यूं इनकी गली है ये जो आज़ादी मुझे मिली है कमी एक इस में भी खली है अब तक क्यों बड़े ही चाव से पेश आता रहा मैं भेदभाव से अपने पराये के इस खेल में हो गया दूर दिलों के मेल से अब भी मन में ये खलबली है ये जो आज़ादी मुझे मिली है कमी एक इस में भी खली है औरों के दुख से हो अजनबी रहा खोया खुद में मैं मतलबी नज़रें ज़िम्मेदारियों से चुराकर रहा जानवर इंसानों में आकर भोर होने पे भी आंख न मली है ये जो आज़ादी मुझे मिली है कमी एक इस में भी खली है छुपे जो मुझे मंज़र दिखला देना मायने आज़ादी के सिखला देना आज़ादी जो सच्ची जान पाऊंगा खुद को भी तब पहचान जाऊंगा कह सकूंगा के आज़ादी फली है ये जो आज़ादी मुझे मिली है कमी एक इस में भी खली है ©Vishal Sharma #आज़ादीकेमायने #Independence