तेरा कोई अधिकार नहीं उस पर , फिर क्यों जताए फिरती है ? जिस रिस्तें का कोई नाम नहीं , फिर उसे क्यों निभाए फिरती है ? तू उसकी कोई है नहीं , फिर उसे क्यों अपना बनाए फिरती है ? हाँ माना तुझे इश्क़ है उससे , फिर क्यों छुपाए फिरती है ? तेरा कोई अधिकार नहीं उस पर , फिर क्यों जताए फिरती है ? जिस रिस्तें का कोई नाम नहीं , फिर उसे क्यों निभाए फिरती है ? तू उसकी कोई है नहीं , फिर उसे क्यों अपना बनाए फिरती है ? हाँ माना तुझे इश्क़ है उससे , फिर क्यों छुपाए फिरती है ?