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मैं दर्द भरी ग़ज़लें लिखने में यूँ फंस गया। जैसे शिक

मैं दर्द भरी ग़ज़लें लिखने में यूँ फंस गया।
जैसे शिकार व्याध के फंदे में कस गया।।

उसके सिवा दुनिया में मुझे फिर न दिखा कुछ।
मेरे दिल-ओ-दिमाग में ऐसे वो बस गया।।

लिखता रहा मैं प्यार का ही फलसफा मगर।
मैं  सारी  उम्र  प्यार  के  लिए  तरस  गया।।

मुस्कान  वही  उम्र  भर  मैं  ढूंढता  रहा।
एक  बार मेरे  सामने  ऐसे वो  हंस गया।।

'आदर्श' अब इलाज मेरा है नहीं मुमकिन।
मुझे प्यार का सारंग प्यार  से यूं डस गया।।
    ~ आदर्श

©Adarsh Mishra #मूड #दर्द
मैं दर्द भरी ग़ज़लें लिखने में यूँ फंस गया।
जैसे शिकार व्याध के फंदे में कस गया।।

उसके सिवा दुनिया में मुझे फिर न दिखा कुछ।
मेरे दिल-ओ-दिमाग में ऐसे वो बस गया।।

लिखता रहा मैं प्यार का ही फलसफा मगर।
मैं  सारी  उम्र  प्यार  के  लिए  तरस  गया।।

मुस्कान  वही  उम्र  भर  मैं  ढूंढता  रहा।
एक  बार मेरे  सामने  ऐसे वो  हंस गया।।

'आदर्श' अब इलाज मेरा है नहीं मुमकिन।
मुझे प्यार का सारंग प्यार  से यूं डस गया।।
    ~ आदर्श

©Adarsh Mishra #मूड #दर्द