कहने को चारों तरफ बस वीरान था बाहों में बहती फ़िज़ा थोड़ी जमीं, कुछ आसमान था।। झुकी नजरें, उड़ती जुल्फ तेरे माथे पर ठहरा मेरे होंठ का एक निशान था हाँ, ऐसा ही कुछ अरमान था।। बाहों में बहती फ़िज़ा थोड़ी जमीं, कुछ आसमान था।। 🍁विकास कुमार🍁 #बाहों_में_बहती_फ़िज़ा #ख़ामोशी