अपना बनारस भयी भोर,करे पंडा काल भैरव का श्रृंगार लिए हाथ में भभूत, अस्सी घाट का मंत्रो-उच्चार और सुबह-ऐ-बनारस का सुनहरा दृश्य करे सभी को अभिभूत। कावड़ भक्त बोले महादेव की काशी,कराएं बाबा को गंगाजल से स्नान, लिए मनोकामना बोले ,हे भोले कर दो हमारी राह आसान। हो गयी सुबह 'अरे रजा' और 'का गुरु' के बोल से लिये हाथ मे चाय, बैठ बतियाए टोली लिए पान,बोले फलां काम कैसे हो पाए। सारनाथ पुरातत्व बतलाये, शहरी इतिहास की बाते पुरानी, साधु संत कहें है यह देश की सांस्कृतिक राजधानी। जहाँ जन्म होने पर मिले, बाबा विश्वनाथ का पावन धाम, मरण पर मोक्ष के लिए, आ,करे लोग यहा विश्राम। समेटे अनगिनत गलियां खुद में,निकल जाएं रास्ते चारो ओर, है अगर एक ओर चकाचौंध तो दूसरी ओर न कोई शोर। है शहर में शिक्षा के लिए, गुरुकुल रूपी बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, सपना देख लगे पड़े लोग यहाँ, बनाने क्योटो स्मार्ट सिटी। हर मोड़ पर मंदिर, गंगा किनारे चौरासी घाट, विदेशी पर्यटक घूम-घूम फ़ोटो ले,खाये गोलगप्पा चाट। माँ गंगा की दशाश्वमेध घाट पर शाम की आरती हो बड़ी मनमोहक, सावन का मेला,नवरात्रि में माँ दुर्गा का पंडाल हो और भी आकर्षक। सुबह की कचौड़ी सब्जी से शाम की लस्सी,चौचक करे लोग आराम, रस अपने बनारस का युहीं बना रहे,लेकर महादेव का नाम। #MeraShehar #poem #hindipoem #hindi #banaras #shahar #kavita