मेरे संघर्ष की कहानी जब उम्र थी पढ़ाई की तब भी कमाना पड़ता था ज़िन्दगी के संघर्ष में अपने आप से लड़ना पड़ता था अगल-बगल के लोग ही नहीं पहचानते थे उस ज़माने में अपने आप को ही समझना और हाले-दिल सुनाना पड़ता था "पापा" करतें रहे जी-जान से मेहनत कोई नही बहाना था एक लोगों का कमाना और पांच को खाना था महान हो आप पापा जो झेल गए इस बेदर्द ज़माने को जब नाही कोई मंज़िल थी नाही कोई ठिकाना था गऱीबी में लोगों ने बहुत रूलाया हैं पैसे वाले ने अपनी औक़ात तक दिखाया है सिख सकता है जीना कोई भी ज़िन्दगी को बस यहीं मेरे पापा ने मुझें सिखाया हैं #बस#यहीं#मेरे#पापा#ने#मुझे#सिखाया#है#Nojoto#Hindi