खाली कंधों पर थोड़ा सा भार चाहिए बेरोजगार हूँ साहब रोजगार चाहिए जेब में पैसे नहीं हैं डिग्री लिए फिरता हूँ दिनोदिन अपनी नजरों में गिरता हूँ. कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए टेलेंट की कमी नहीं हैं भारत की सड़कों पर दुनिया बदल देगे भरोसा करो इन लड़कों पर लिखते लिखते मेरी कलम तक घिस गई नौकरी की प्रक्रिया में अब सुधार चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए दिन रात करके मेहनत बहुत करता हूँ सुखी रोटी खाकर ही चैन से पेट भरता हूँ भ्रष्टाचार से लोग खूब नौकरी पा रहे हैं रिश्वत की कमाई खूब मजे से खा रहे है. नौकरी पाने के लिए यहाँ जुगाड़ चाहिए बेरोजगार हूँ साहब मुझे रोजगार चाहिए ©पूर्वार्थ #बेरोजगार