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चल आ मिल बैठ आज एक शाम सजाते है चढ़ती रात में, एक

चल आ मिल बैठ आज एक शाम सजाते है
चढ़ती रात में, एक प्यारा जहां बनाते है
तू आ मेरे तरफ मै चलू तेरी तरफ
फिर मिल बैठ आसमां के तले 
चल आ ढलती शाम में प्यार की किरण सजाते है
कुछ करेंगे बाते, बीते पलों की 
कुछ होंगी बातें दिल कि हलचलों की
फिर चुप हो तुम मुझमें, हम तुझमें समाते है
चल आ ढलती शाम में प्यार की किरण सजाते है
 रात की ख़ामोशी सुन्न कानो में चिल्ला रही
  ख़ामोशी दिल की तुझको पुकार रही
आ बैठ शाम दिल को समझते है
चल आ ढलती शाम में प्यार की किरण सजाते है
मिल दिल की हसरत पूरी होगी
जैसे कान्हा राधा की चाहत पूरी होगी
आ चूम तेरे माथे को फिर मिल शरमाते हैं
चल आ ढलती शाम में प्यार की किरण सजाते हैं

©vimlesh yadav official
  आ मिल शाम एक जहां बनाते है
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