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मुस्किल राहें थीं पर हम थके नहीं, अड़चने थीं बहुत

मुस्किल राहें थीं पर हम थके नहीं, 
अड़चने थीं बहुत मगर हम रुके नहीं,,
है कोई नहीं अपना जो दर्द पूछे मेरा, 
किस या किसकी वजह से हम झुके नहीं। ।
गम के कोई पते होते नहीं, 
ज़ख्म दिल के छिपे होते नहीं,,
किस लहजे या लफ़्ज़ में दास्ताँ सुनाऊँ अपनी, 
किनारे समुद्रों से कटे होते नहीं। ।
बिन वजह अश्क आँखों से गिरते नहीं, 
बन आशिक यूँ दर दर फिरते नहीं,,
चैन नहीं इक पल भी देखे बगैर उनके, 
उनकी चाहतों पर यूँ मर मिटते नहीं। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #ashiqui