किसी को भी बयां नहीं कर पा रहा हूं मैं चलने की कोशिश कर रहा हूं चल नहीं पा रहा हूं डर बैठा है मेरे मन में कहीं अजीब सा मैं हूं तो भीड़ में पर अकेला नजर आ रहा हूं कैसी तकलीफ है यह कैसी घुटन का मंजर है सामने मंदिर है मेरे दिल में डर का समंदर है खूंटियों पर लटका है कीमती सामान पर हर सामान मुझे बेकार नजर आ रहा है सब कुछ फीका फीका सा अनहोनियों का डर सताए आंखें खुली रखूं या फिर रखूं बंद मेरा मन घबराए मेरा जिया घबराए | मेरे अंदर बैठा डर मुझे देखें और बड़ी जोर जोर से मुस्कुराए | किसी को भी बयां नहीं कर पा रहा हूं मैं चलने की कोशिश कर रहा हूं चल नहीं पा रहा हूं डर बैठा है मेरे मन में कहीं अजीब सा