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अब तो जिम्मेदारियां भी सहूलियतों से निभाई जा रही ह

अब तो जिम्मेदारियां भी सहूलियतों से निभाई जा रही है,
एक दौर था मजाक भी जिमेददारी से निभाते थे लोग।
अब कोई मर जाये किसे फिक्र,
पहले मरने की सोंच के मर जाते थे लोग।

वो परेशान हो के घर से निकल गया ,क्या दौर है।
एक वो दौर था,परेशान हो के घर जाते थे लोग।।।

अब तो जेल मे गुनाहों की तालीम लेते है।
बाप की एक धुरकी पे सुधर जाते थे लोग।।

वक़्त के साथ बहना सिख लिया क्यों।
अच्छा था,जिधर सच था।उधर जाते थे लोग।।

वो अब गालियां दे के भी याद रखता है?
दुआएं देकर भी तब मुकर जाते थे लोग।। #kavyapankh3 #Shayari
अब तो जिम्मेदारियां भी सहूलियतों से निभाई जा रही है,
एक दौर था मजाक भी जिमेददारी से निभाते थे लोग।
अब कोई मर जाये किसे फिक्र,
पहले मरने की सोंच के मर जाते थे लोग।

वो परेशान हो के घर से निकल गया ,क्या दौर है।
एक वो दौर था,परेशान हो के घर जाते थे लोग।।।

अब तो जेल मे गुनाहों की तालीम लेते है।
बाप की एक धुरकी पे सुधर जाते थे लोग।।

वक़्त के साथ बहना सिख लिया क्यों।
अच्छा था,जिधर सच था।उधर जाते थे लोग।।

वो अब गालियां दे के भी याद रखता है?
दुआएं देकर भी तब मुकर जाते थे लोग।। #kavyapankh3 #Shayari