गर्म अश्क जो अरीज़ों से लगते
लब तक आते हैं
भला क्या वो भी अपनी मंज़िल पाते हैं?
वो अश्क आखिर क्या जताना चाहते हैं,
नमक सा स्वाद लिए
निग़ाहों से फुट जाते हैं
यहाँ दिल भरा नही की उधर निकल आते हैं,
सीपियों से मोती ना सही #hindikavita#hindi_poetry#ashk#firstvideo#nojohindi