स्वेच्छा से बंधो तो संबंध, सहर्ष बंधो तब संबंध, सुखद हो बंधन तो संबंध, सहज सम्मानित हो तो संबंध। नहीं तो बांधते हैं संबंध, उलझा देते हैं संबंध, पराश्रित हो खुशी और चैन तो, सब स्वाहा कर देता अतःद्वंद। #संबंधों का द्वंद