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हमरी गांव की माटी शहर के, दुख का बाट लेती है । होय

हमरी गांव की माटी शहर के,
दुख का बाट लेती है ।
होय कोई आफत ,
हरगिज साथ देती है ।
दिन देत है अगर  शहर तुम्हरा,
तो हमरी माटी भी शहर का रात देती है।
मतलबी  होयके जियत हो तुम लोग ,
माटी हमरी हम सबका,
बेमतलब से जिये का जज्बात देती है।
हा हमरी गांव की माटी शहर के,
दुख का बाट लेती है ।
कभी सर उठाए का देख लियो नीले आसमान का ,
कोई कसर न छोड़े हो काला रंग भरे मा,
कभू पेट पर हाथ रख के पूछ लिया करो ,
की कोई काम करे हो ई अंग का अंग बने मा ।
उड़ाए हो तुम धुआ धुया सारी उमर भर , 
गांव की हवा शहर में  जिए जैसे हालात देती है
हम गर्व से कहित है 
हमरे गांव के माटी शहर के दुख का बाट लेती है
हो कोई विपदा हमेशा साथ देती है ।।।।।। #gaav #gaavkimitti
हमरी गांव की माटी शहर के,
दुख का बाट लेती है ।
होय कोई आफत ,
हरगिज साथ देती है ।
दिन देत है अगर  शहर तुम्हरा,
तो हमरी माटी भी शहर का रात देती है।
मतलबी  होयके जियत हो तुम लोग ,
माटी हमरी हम सबका,
बेमतलब से जिये का जज्बात देती है।
हा हमरी गांव की माटी शहर के,
दुख का बाट लेती है ।
कभी सर उठाए का देख लियो नीले आसमान का ,
कोई कसर न छोड़े हो काला रंग भरे मा,
कभू पेट पर हाथ रख के पूछ लिया करो ,
की कोई काम करे हो ई अंग का अंग बने मा ।
उड़ाए हो तुम धुआ धुया सारी उमर भर , 
गांव की हवा शहर में  जिए जैसे हालात देती है
हम गर्व से कहित है 
हमरे गांव के माटी शहर के दुख का बाट लेती है
हो कोई विपदा हमेशा साथ देती है ।।।।।। #gaav #gaavkimitti