शुद्ध सात्विक और शाकाहारी स्वछ साँसें लेने क़े लिए मुझे अपना रुख अपने नगर से हिमालय. की तरफ करना पढ़ा क्योंकि नगरीय वातायन बुरी तरह प्रदूषित हो चुका था.... चिमनियों गाडीयो क़े धुओं से वृक्षों क़े निरंतर विध्वंसों से जहां प्रगतिशील मानवता स्वच्छ साँसे लेने मे अपने को असहाय पा रही है. ©Parasram Arora स्वच्छ साँसें.......