पूछता रहा मै सबसे पर उत्तर मुझे कहीं से नही मिला साँझ की मधुर वेला उतर चुकी है और परिंदे अपने झुंडो मे घर अपने लौटने लगे है लेकिन मेरे मन का विहंग अभी भी कहीनही दिखा है न लौटा है पूछता रहा मै सबसे पर उत्तर कहीं से नही मिला गगन मे भी रात ने दस्तक दे दीं है और धरती पर भी दीप जल चुका..... तारे झिलमिलाते हुए अपने घरों से निकल पडे है लेकिन मेरा सितारा गगन की किस कंदरा मे जा कर गुम हुआ ....है..? पूछ रहा हूँ. मै सब से पर उत्तर मुझे कहीं से नही मिला ©Parasram Arora उत्तस्र मुझे कहीं से नही मिला