जिंदगी_की_शाम लम्हा दर लम्हा रेत सी फ़िसलती जिंदगी सुबह के भागमभाग से सुरु होती शाम की खामोश सी जिंदगी कहि खुशी तो कही ग़म के चादर में लिपटी तो कही धूप छाव सी जिंदगी, हर लम्हें को संभाल कर तो देखो कुछ वक्त को चुरा कर तो देखो दिन भर के शोर के बाद कुछ सखियों,कुछ दोस्तों के साथ बेपरवाही भरी जिंदगी जी के तो देखो कई किस्से,कहानियां मिलेंगी उनकी बातों में बस उनको वक्त देकर तो देखो बे वजह मत गुजारो ये छोटी सी जिंदगी खुशियों की शाम को " जिंदगी की शाम" बना कर तो देखो ©पूर्वार्थ #जिंदगी_की_शाम