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पायदान होश में ये वाक़िया है जब मां गोदी में उठा क

पायदान

होश में ये वाक़िया है जब मां गोदी में उठा के ले गई थी गुरुद्वारे ,,,,,,,,
 चौखट पे रखे इक पायदान के नीचे हाथ डाले और उसकी धूल निकाली और मेरे सर से बुथ्थे तक मल डाली ,,,,,,,,,,,,



कद बुद जब बढ़ने लगा तो मीठे के ज़ोर ने दाढ़ में दर्द छेड़ दिया ,,,,,,,,
    माँ बोली जा गुरूदारे पायदान के नीचे बाबाजी के चरणों की धूल मल लेना दर्द छू हो जाएगा ,,,,,,,,
 इक दिन का वाक़िया है उदास दिन मुफ़लिसी सिर चढ़ के बैठी हुई थी ,,,,,,,,,,,,
          मैं अपने वज़न से कुर्सी को दबाए बैठा था के माँ बोली गुरूदारे हो आ निठल्ला सतिन्दर चल पड़ा ,,,,,,,,,,,
     पहुँचा तो देखा इक रब का प्यारा उस पायदान को अपने दोनों पैरों से कूट रहा था ,,,,,,,,,,,,,
दूसरा जो पीछे था उसने पैरदान उठाया और धूल मथ्थे पे लगा ली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
     और मेरे बचपन का डाउट क्लियर हो गया जब गुरूदारे मैं रख्खे पायदान को लोग कूटकर जाते है ,,,,,,
       फिर उसी के नीचे की धूल मथ्थे लगाते है तो तू तो इंसा है   सतिन्दर वक़्त आने दे तेरे मलवे के नीचे भी धूल मिलेगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

पर उस दिन मैं अंदर नहीं गया बाहर से ही भाग आया सोचा अंदर फिर किसी बु.....................रे दिन ,,,,,,,
    बाबा जी अंदर आना है क्या ????????????????

©️✍️ सतिन्दर पायदान 
इक नई नज़्म "पायदान" पेशे ख़िदमत है,,,,,,,,,,,,

                           पायदान

होश में ये वाक़िया है जब मां गोदी में उठा के ले गई थी गुरुद्वारे ,,,,,,,,

 चौखट पे रखे इक पायदान के नीचे हाथ डाले और उसकी धूल निकाली और मेरे सर से बुथ्थे तक मल डाली ,,,,,,,,,,,,
पायदान

होश में ये वाक़िया है जब मां गोदी में उठा के ले गई थी गुरुद्वारे ,,,,,,,,
 चौखट पे रखे इक पायदान के नीचे हाथ डाले और उसकी धूल निकाली और मेरे सर से बुथ्थे तक मल डाली ,,,,,,,,,,,,



कद बुद जब बढ़ने लगा तो मीठे के ज़ोर ने दाढ़ में दर्द छेड़ दिया ,,,,,,,,
    माँ बोली जा गुरूदारे पायदान के नीचे बाबाजी के चरणों की धूल मल लेना दर्द छू हो जाएगा ,,,,,,,,
 इक दिन का वाक़िया है उदास दिन मुफ़लिसी सिर चढ़ के बैठी हुई थी ,,,,,,,,,,,,
          मैं अपने वज़न से कुर्सी को दबाए बैठा था के माँ बोली गुरूदारे हो आ निठल्ला सतिन्दर चल पड़ा ,,,,,,,,,,,
     पहुँचा तो देखा इक रब का प्यारा उस पायदान को अपने दोनों पैरों से कूट रहा था ,,,,,,,,,,,,,
दूसरा जो पीछे था उसने पैरदान उठाया और धूल मथ्थे पे लगा ली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
     और मेरे बचपन का डाउट क्लियर हो गया जब गुरूदारे मैं रख्खे पायदान को लोग कूटकर जाते है ,,,,,,
       फिर उसी के नीचे की धूल मथ्थे लगाते है तो तू तो इंसा है   सतिन्दर वक़्त आने दे तेरे मलवे के नीचे भी धूल मिलेगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

पर उस दिन मैं अंदर नहीं गया बाहर से ही भाग आया सोचा अंदर फिर किसी बु.....................रे दिन ,,,,,,,
    बाबा जी अंदर आना है क्या ????????????????

©️✍️ सतिन्दर पायदान 
इक नई नज़्म "पायदान" पेशे ख़िदमत है,,,,,,,,,,,,

                           पायदान

होश में ये वाक़िया है जब मां गोदी में उठा के ले गई थी गुरुद्वारे ,,,,,,,,

 चौखट पे रखे इक पायदान के नीचे हाथ डाले और उसकी धूल निकाली और मेरे सर से बुथ्थे तक मल डाली ,,,,,,,,,,,,

पायदान इक नई नज़्म "पायदान" पेशे ख़िदमत है,,,,,,,,,,,, पायदान होश में ये वाक़िया है जब मां गोदी में उठा के ले गई थी गुरुद्वारे ,,,,,,,, चौखट पे रखे इक पायदान के नीचे हाथ डाले और उसकी धूल निकाली और मेरे सर से बुथ्थे तक मल डाली ,,,,,,,,,,,, #बचपन #दर्द #सतिन्दर #satinder #चरण #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #गुरुद्वारा