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चलों कहीं निकल चलते हैं, इस अंजान से सफ़र में ,

चलों कहीं निकल चलते  हैं, 
इस अंजान से सफ़र  में , 
कहीं दूर इस  झूठ की जहाँ से , 
जहाँ हम न मिले कोई भी गम, 
भी यूहीं जी ले ख़ुशी के दो चार पल, 
जहाँ बस मिल जाये सुकून के  वो पल
प्यार की उम्मीद तो बर्बाद कर गयी, 
अब ख़ुद से ही रिश्ता जोड़ ले हम , 
हमने तो ताउम्र जिया दूसरों के खातिर , 
अब ख़ुद की जिंदगी तो , खुल के जी ले हम......!! 
               ___शिवाय

©Shivay
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shivanay1239

Shivay

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