जिम्मेदार नागरिक आज की सुरज नयी किरण लेकर आईं थीं कुछ नया करना है वह आस लेकर आईं थीं वो जो सुबह की लाली आज थोड़ा रंगीन सा था ऐसा लगा मुझे आगे बढ़ने का तरीका बता रहा था कुछ नया सिखने का उमंग भर लाया था उसका ताप तो एक अलग ही रंग लाया था बिस्तर से उठते वह रुहानी रुप ठीक मेरी खिड़की के पीछे मानो मुझे कोई इशारा कर रहा था जो हुआ कल मेरा पुराना अतीत था बस चार दिनों की राती फ़िर वही सवेरा था कौड़ा-काग़ज़ , कलम-स्याही सब लिए खड़े हाथों में इक उम्मीद भरी दिपक जलाएंगे और उसके उजाले से अपना भविष्य जगमगाएंगे। ©Payal Pathak #HopingSun