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चाहत है उभरने की पर तुम तक आते - आते खाक ही हो जाए

चाहत है उभरने की
पर तुम तक आते - आते खाक
ही हो जाएंगे

रौशनी ये सारी छलावा है 
 अब लगता है हम बर्बाद ही हो जाएंगे 

रुखसत कर दो मुझे निगाहों के कैद से 

"जान" 
अब हिज्र का हिज्र मे मलाल नहीं

©चाँदनी
  #रौशनी