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टूटकर संभालता हूँ जितनी दफा, फिर उतनी ही दफ़ा एतबा

टूटकर संभालता हूँ जितनी दफा, 
फिर उतनी ही दफ़ा एतबार करता हूँ मैं। 

मोहब्बत की बस्ती में हर दफ़ा,
दर्द-ए-दिल का कारोबार करता हूँ मैं। #कारोबार
टूटकर संभालता हूँ जितनी दफा, 
फिर उतनी ही दफ़ा एतबार करता हूँ मैं। 

मोहब्बत की बस्ती में हर दफ़ा,
दर्द-ए-दिल का कारोबार करता हूँ मैं। #कारोबार