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panchiholicshami1076
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

◆ Poet , Shaayar & Short Story writer ✍️ ◆ Single_but_Happy ◆Life_is_too_complicated_but_still_beautiful ◆ 🎂 15 December 1990 ◆ 📲 9806301200, 8109251834

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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

"वादा"

अब यहाँ से जाना बहुत जरूरी है मेरा, 
उससे किया हुआ वादा, निभाना जरूरी है मेरा। 
किसी के रहने या ना रहने से क्या फ़र्क पड़ता है?
मगर उसकी दुनिया में होना, अब जरूरी है मेरा। 

उससे किया हुआ वादा, निभाना जरूरी है मेरा। 

मुझे चैन नहीं मिलता , कहीं आराम नहीं मिलता, 
मुस्कुराता हुआ देख उसको, मुस्कुराना जरूरी है मेरा।
अब ना रोकना मुझे, किसी षडयंत्र से यहाँ मेरे दोस्तों,
जाने भी दो यारों, अब जाना बहुत जरूरी है मेरा। 

उससे किया हुआ वादा, निभाना जरूरी है मेरा। 

वो कर रही होगी , इंतेज़ार मेरा "नर्मदा नदी" के किनारे, 
उससे "सेठानी घाट" पर जाके मिलना, अब जरूरी है मेरा। 
उसका वादा है मुझसे "शमी" ताउम्र आसपास रहने का,
उसके शहर में जाकर, अब घर बनाना जरूरी है मेरा। 

उससे किया हुआ "वादा", अब निभाना जरूरी है मेरा। 

वो जा ना सकेगी बगैर मेरे, तय की गई तीर्थ यात्रा पर,
उसके साथ "कैलाश मानसरोवर" जाना, जरूरी है मेरा।

उससे किया हुआ "वादा", अब निभाना जरूरी है मेरा।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #नर्मदापुराम
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

White किसी कब्र सी है ज़िंदगी मेरी,

कितनी ही यादें दफ़न हैं इसमें तेरी।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #Sad_Status
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

White पढ़कर ख्याल मेरा कहा उसने : नहीं होते व्यर्थ...
पैगाम इसलिए नहीं आता, क्योंकि अब बात कुछ और है। 

तुम हो चुके हो पराए ,  और अब मैं हो चुकी हूं ग़ैर।
करवट ले चुका है वक्त, और अब हालत कुछ और हैं।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #love_shayari
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

White ना तेरे दिल तक पहुँचते हैं,
 ना अब उनके बदले कोई पैग़ाम आते हैं।


तुम्हारे लिए मेरे लिखे हुए ख़याल,
अब व्यर्थ हो जाते हैं।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #sad_quotes
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

White कुछ सवाल, 
जो तुमने मुझसे किए ही नहीं कभी,

हर रोज लिखकर इक नया ख़्याल, 
मैं उन सबके जवाब देता हूँ।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #Sad_Status
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

Unsplash किसी उपन्यास के 2nd लास्ट पन्ने जैसा फ़िर वो नवंबर आया,
सारी ख्वाहिशें दफन की सीने में फ़िर, खुशियां सब उसके नाम कर आया। 

पढ़कर वो पूरी किताब और करके दस्तखत आख़िरी पन्ने पर, 
वो किताब उसे तोहफ़े में, उसके जन्म दिन पर दे आया ।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #Book
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

Unsplash किसी उपन्यास के आखरी पन्ने जैसा था वो नवंबर,
पढ़कर पूरी किताब, करके दस्तखत आख़िरी पन्ने पर, 
वो किताब जन्म दिन पर उसके, उसे तोहफ़े में दे आया।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #leafbook
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

White जो चाहा नहीं था कभी, अब साथ मेरे वही हो रहा है। 

मैं हुआ सिर्फ़ तन से, अब वो मन से जुदा हो रहा है। 

मैं तो अब भी दिखता हु इंसा सा, वो ख़ुदा हो रहा है।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #Sad_Status
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

White तुम चुनती अगर मुझे , तो अपना "परिवार" खो देती। 

हमने चुना जो अपने-अपने परिवार को, तो एक-दूसरे को खो दिया।

प्रेम में हमेशा इंसान, जीवन भर बस समझोता ही करता रह जाता है।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #good_night
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" शमी सतीश " (Satish Girotiya)

प्रेम में उसके, मैं कुछ इस तरह समर्पित हुआ,
  
जैसे कोई पुष्प, चरणों में महादेव के अर्पित हुआ।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #shiv
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